– कोडुगू में करंट लगने से पांच वर्षों में 31 लोगों की मौत
– खेतों व कॉफी बागानों में आम है इस्तेमाल

मडिकेरी. खेतों और कॉफी बागानों में एल्यूमीनियम सीढ़ी (aluminium ladder) का इस्तेमाल आम है, लेकिन खतरनाक भी। इन सीढिय़ों के बिजली के तारों के संपर्क में आने के कारण करंट लगने से बीते पांच वर्षों में 31 लोगों की मौत हो चुकी है। चामुंडेश्वरी विद्युत आपूर्ति (सीइएसइ) कंपनी के आंकड़ों के अनुसार 31 में से 20 मौतें अकेले विराजपुर तालुक में हुई हैं।
किसान सिल्वर ओक के पेड़ों (Silver Oak Tree) से काफी ऊपर तक लिपटी बेलों से काली मिर्च (Black Pepper) तोडऩे सहित पेड़ों की देखरेख, छंटाई व सौंदर्यीकरण के लिए भी इन सीढिय़ों का इस्तेमाल करते हैं। खेतों में बोरवेल से जुड़े 11 हजार वोल्ट की लाइन के तारों से एल्यूमीनियम सीढिय़ों के संपर्क में आने से ज्यादातर दुर्घटनाएं हुई हैं। ज्यादातर मृतक कोडुगू के बाहर से हैं।
कीमती बांस काटने पर कई प्रतिबंध
किसानों का कहना है कि क्षेत्र में बांस की सीढिय़ां (bamboo ladder) उपलब्ध नहीं हैं। वन विभाग ने जंगलों से जंगली बांस काटने वाले लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं। बांस के पेड़ विभिन्न बीमारियों से प्रभावित हैं। उपलब्धता कम होने के कारण बांस कीमती है। जंगल से बांस काटने पर वन विभाग ने कई प्रतिबंध लगा रखे हैं।
बांस की तुलना में टिकाऊ और किफायती
वर्ष 2015 के बाद से बांस की जगह एल्यूमीनियम की सीढिय़ों का इस्तेमाल चलन में आया। इसके बाद से ही मौतों का सिलसिला भी जारी है। बांस की तुलना में एल्यूमीनियम की सीढिय़ां किफायती और टिकाऊ होती हैं। किसान एक बार निवेश करते हैं और वर्षों तक इन सीढिय़ों का इस्तेमाल करते हैं।
50 फीसदी अनुदान की मांग
फाइबर और इंसुलेटेड सीढिय़ां विकल्प हैं लेकिन कीमती। किसानों के अनुसार वे इन सीढिय़ों पर इतना खर्च नहीं कर सकते हैं। सरकार 50 फीसदी अनुदान दे तो किसान इन्हें खरीदने में सक्षम होंगे।
जानकारों के अनुसार राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत बागवानी विभाग मशीनें और सीढिय़ों की खरीद के लिए अनुदान देता है। योजना से ज्यादातर किसान अनभिज्ञ हैं।
बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे
सीइएसइ, मडिकेरे (Madikere) के सहायक कार्यकारी इंजीनियर देवय्या ने बताया कि जिला प्रशासन व सीइएसइ के जागरूकता अभियानों के बावजूद इन सीढिय़ों का इस्तेमाल जारी है। इस संबंध में कोडुगू जिलाधिकारी चारुलता सोमल के साथ जल्द बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे।
वर्ष – मौतें
2016-2017 – 06
2017-2018 – 07
2018-2019 – 09
2019-2020 – 07
2020-2021 – 02
(15 मार्च तक)